नए सेम डे चेक क्लियरिंग सिस्टम की विफलता से व्यापार समुदाय को भारी कठिनाई

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CAMIT

CAMIT ने वित्त मंत्री सीतारमण  से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की

10 अक्टूबर 2025                    9.10 PM

नागपुर - चेंबर ऑफ एसोसिएशन्स ऑफ महाराष्ट्र इंडस्ट्री एंड ट्रेड (CAMIT) ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से आग्रह किया है कि हाल ही में लागू किए गए सेम-डे चेक क्लियरिंग सिस्टम में आई व्यापक तकनीकी बाधाओं के चलते व्यापारियों, उद्योगपतियों तथा एमएसएमई इकाइयों को हो रही गंभीर तरलता (liquidity) की समस्या को दूर करने हेतु तत्काल हस्तक्षेप करें।

वित्त मंत्री और वित्तीय सेवा विभाग के प्रधान राजस्व सचिव (बैंकिंग) को प्रस्तुत अपने प्रतिवेदन में कैमिट ने उल्लेख किया है कि यह नई प्रणाली, यद्यपि उद्देश्यपूर्ण और डिजिटल दक्षता के अनुरूप है, लेकिन इसके क्रियान्वयन के बाद से ही गंभीर तकनीकी त्रुटियों के कारण कई बैंकों में चेक क्लियरेंस पूरी तरह ठप हो गई है।

“कई करोड़ रुपये के भुगतान अटके हुए हैं, जिससे व्यवसायिक नकदी प्रवाह (cash flow) बाधित हुआ है और व्यापारियों को बार-बार अपने बैंकों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। यद्यपि सेम-डे क्लियरिंग की मंशा सराहनीय है, परंतु इसकी अस्थिरता ने ईमानदार करदाताओं और चेक आधारित लेन-देन पर निर्भर छोटे उद्यमों को भारी कठिनाइयों में डाल दिया है,” ऐसा डॉ. दीपेन अग्रवाल, अध्यक्ष,कैमिट ने कहा।

कैमिट ने वित्त मंत्रालय के समक्ष निम्न प्रमुख सुझाव प्रस्तुत किए हैं:

1. पुरानी क्लियरिंग प्रणाली का समानांतर संचालन : नई प्रणाली के पूर्ण रूप से स्थिर होने तक ₹5 लाख तक के चेक के लिए पूर्व की दो-दिवसीय क्लियरिंग प्रक्रिया को जारी रखा जाए।

2. व्यवसाय निरंतरता प्रोटोकॉल : तकनीकी बाधा की स्थिति में बैंकों को स्वचालित रूप से पुरानी प्रणाली पर लौटने के निर्देश दिए जाएँ ताकि लेन-देन बाधित न हो।

3. हितधारक परामर्श : व्यापारिक चैंबर्स, आरबीआई एवं एनपीसीआई को परामर्श प्रक्रिया में शामिल किया जाए ताकि चुनौतियों की समीक्षा कर चरणबद्ध संक्रमण योजना तैयार की जा सके।

4. सार्वजनिक सूचना : बैंकों द्वारा ग्राहकों को संभावित डाउनटाइम एवं वैकल्पिक व्यवस्था के बारे में समय पर पारदर्शी जानकारी दी जाए ताकि भ्रम की स्थिति न बने।

डॉ. अग्रवाल ने यह भी कहा कि व्यापार समुदाय बैंकिंग क्षेत्र के डिजिटलीकरण और आधुनिकीकरण का पूर्ण समर्थन करता है, किंतु इसके लिए “सुगम एवं स्थिर संक्रमण व्यवस्था” आवश्यक है जिससे व्यापार की तरलता और जन-विश्वास सुरक्षित रह सके।

कैमिट ने पुनः यह दोहराया कि वह सरकार के साथ “विकसित भारत 2047” के लक्ष्य को साकार करने हेतु समावेशी विकास को बढ़ावा देने और प्रणालीगत सुधारों को उद्योग एवं व्यापार के व्यावहारिक लाभों में परिवर्तित करने के लिए कटिबद्ध है।




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