भारतीय मसालों को बदनाम करने का षडयंत्र रच रही विदेशी ताकतें

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महाराष्ट्र मसाला उद्योग संगठन का आरोप 

8 म‌ई 2024           2.15 PM 

नागपुर - भारत दुनिया की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। यहां के उत्पाद विदेशों में काफी पसंद किए जाते हैं। यहां के मसाले भी विदेशी बाजार में अलग पहचान रखते हैं। यही कारण है कि, यहां से मसालों का निर्यात दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। मसालों के निर्यात से सरकार को भी भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। यह बात कई देशों को खल रही है, इसलिए तरह-तरह के आरोप लगाकर विदेशों में भारतीय मसालों को बदनाम किया जा रहा है।

दुनिया में उत्तम गुणवत्ता के मसालों के लिए जाने वाले भारत के एमडीएच और एवरेस्ट नामक कंपनियों के मसालों पर हाल ही में सिंगापुर और हांगकांग ने गुणवत्ता पर सवाल खडा कर बैन लगाया गया है। जबकि भारत में सभी जांच एजेंसियों ने भारतीय मसालों को क्लीन चिट दी है। सिंगापुर और हांगकांग के फुड सेफ्टी रेगुलेटर्स ने एमडीएच और एवरेस्ट के चार मसाला प्रोडक्ट्स में एक कैंसर पैदा करने वाले ‘एथिलीन ऑक्साइड’ कैमिकल की सीमा ज्यादा होने का आरोप लगाया गया है।

महाराष्ट्र मसाला उद्योग संगठन के अनिल अहिरकर,प्रकाश वाघमारे ने पत्र परिषद में यह आरोप लगाए। उन्होंने बताया कि भारत से निर्यात होने वाले उत्पादों की गहन जांच की जाती है। भारतीय मसालों को चीन जैसे देशों द्वारा अंतरराष्ट्रीय बाजार में बदनाम कर भारत की छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है। सरसों के तेल पर भी साजिश के तहत पाबंदी लगाई गई थी। चावल और डेयरी प्रोडक्ट्स,हरी सब्जियां, मछली को भी संदेह के दृष्टिकोण से देखा जाता है।एफएसएसएआई ने भी मसालों और अन्य खाद्य पदार्थो की जांच की थी और इन पर लगाए गए आरोपों को खारिज किया है। पत्र परिषद में मयंक जैन, प्रकाश कटारिया, प्रकाश वाघमारे, चंद्रशेखर तिड़के, नरेंद्र काले, विजय पोटे, अतुल ठकराल आदि उपस्थित थे।




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