एनवीसीसी ने बजट में व्यापारियों को राहत के लिए दिए सुझाव

Painter: Artist busy on his creative work

NVCC

21 जनवरी 2023

नागपुर - नाग विदर्भ चेंबर ऑफ काॅमर्स के अध्यक्ष अश्विन प्रकाश अग्रवाल (मेहाड़िया) ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक प्रतिवेदन भेजकर आम बजट के लिए सुझाव दिए हैं। आगामी फरवरी माह में वर्ष 2023-24 के लिये बजट प्रस्तुत किया जाने वाला है। अतः आगामी बजट में आम जनमानस को निम्न राहत दी जानी चाहिये। उन्होंने कहा कि चेंबर द्वारा काफी समय से व्यक्तिगत आय में आयकर के प्रावधान से छूट की सीमा बढ़ाने की मांग की जा रही है। लघु व मध्यम व्यापारियों तथा नौकरीपेशा व्यक्ति के हितों को ध्यान में रखते हुये वार्षिक आय के लिऐ व्यक्तिगत आयकर में रू.5 लाख तक वार्षिक आय को पूर्णतः छूट,रू. 5 लाख से अधिक व 10 लाख तक 10%,रू. 10 से 20 लाख तक की वार्षिक आय 20% रू. 20 लाख से अधिक आय के लि 3% की दर से आयकर निश्चित करना चाहिये तथा साथ ही नए प्रावधान u/s 115BAC के अनुरूप विभिन्न आयकर दरों में फेरबदल करना चाहिये। साथ ही सरचार्ज के दरों में भी बदलाव प्रस्तावित है तथा u/s 87A के तहत व्यक्तिगत करदाता को रू. 5 लाख की वार्षिक आयकर की निश्चित छूट देनी चाहिये।

चेंबर के संचालक मंडल के चेयरमैन अर्जुनदास आहूजा ने कहा कि सरकार ने कंपनियों के लिये आयकर की दर 25% तय की है तथा पार्टनरशिप फर्म के लिये 30% आयकर की दर है। सरकार ने छोटी कंपनियों की तरह पार्टनरशिप फर्म के लिये भी आयकर की दर 25% करना चाहिये। आयकर के प्रावधान 44AD के तहत पार्टनरशिप फर्म में पार्टनरों कोे फर्म से अपना मानधन तथा उसके ब्याज पर भी आयकर में छूट देना चाहिये।

चेंबर के सचिव रामअवतार तोतला ने बताया कि आयकर के प्रावधान 234A, 234B व 234C के तहत करदाता को आयकर के विभिन्न प्रावधानों पर ब्याज का भुगतान करना पड़ता है जिसके कारण व्यापारी वर्ग को तरल पूंजी के अभाव से गुजरना पड़ रहा है एवं व्यापारियों को अग्रिम करों के भुगतान व देयकर पेमेंट के भुगतान पर भी देरी होने पर भारी मात्रा में ब्याज चुकाना पड़ता है। अतः सरकार ने वर्तमान बाजार की आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुये प्रावधान 234A, 234B व 234C के तहत भुगतान व ब्याज की दरों का पुनः आकलन कर आम जनता व व्यापारियों को राहत देना चाहिये।

चेंबर के उपाध्यक्ष फारूक अकबानी ने कहा कि कभी-कभी आकलन अधिकारी द्वारा गलत आकलन होने से करदाता को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसी परिस्थिति में आकलन अधिकारी व विभाग ने गलत आकलन की जवाबदारी स्वीकार करते हुये करदाता को हुय आर्थिक व मानसिक तकलीफ हेतु मुआवजा देना चाहिये। राष्ट्रीय पेंशन व्यवस्था के सेक्शन 36(1) के अनुसार करदाता को अपने वेतन का 10% भुगतान करना होता है जबकि वर्तमान में केन्द्र सरकार ने इसे बढ़ाकर 14% कर दिया है।अतः राष्ट्रीय पेंशन व्यवस्था  के नियमों में एकरूपता बनाये  रखने के लिऐ  पुनः 10% ही किया जाना चाहिये।

चेंबर की प्रत्यक्ष कर समिति के संयोजक सीए संदीप जोतवानी ने कहा कि वर्तमान में न्यूनतम वैकल्पिक कर तथा वैकल्पिक न्यूनतम कर की दर 18% है जो कि बहुत अधिक है जिसे कम कर 10% करना चाहिये। वर्तमान समय में आर्थिक मंदी व तरल पूंजी अभाव को देखते हुये सरकार ने न्यूनतम वैकल्पिक कर तथा वैकल्पिक न्यूनतम कर के प्रावधान में बदलाव कर उद्योगों व व्यापारियों को राहत देना चाहिये। साथ ही सरकार ने बचत को प्रोत्साहित करने के लिये आयकर के प्रावधान 80C व 80D में आवश्यक बदलाव कर इसकी न्यूनतम सीमा में भी बढ़ोतरी कर 3,00000/-  चाहिये। वेतन पर आयकर की सीमा को रू. 50 हजार से बढ़ाकर 1लाख करना चाहिये।

आयकर के रिटर्न के प्रावधान के अनुसार करदाताओं को 30 दिनों में आयकर रिटर्न का e-verify करना होता है। सभी छोटे व मध्यम व्यापारियों के पास ई-वेरिफिकेशन   के लिए सभी तकनीकी साधन उपलब्ध न होने के कारण वह आयकर रिटर्न को -वेरिफाइ नहीं कर पाता है जिसके कारण विभाग उनके रिटर्न को अवैध घोषित कर देता है। अतः विभाग ने ऐसे व्यापारियों की परेशानियों को ध्यान में रखते हुये समय सीमा के बाद भी आयकर रिटर्न को ई-वेरिफाइ करने का मौका प्रदान करना चाहिये।  

 चेंबर के कार्यकारिणी सदस्य सीए अश्विनी अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान में किसी भी प्रापर्टी की खरीद या निर्माण कार्य 5 वर्षाे के अंदर पूर्ण न हो पाया है तो रू. 2 लाख के लोन पर ब्याज की छूट मिलती है। इस छूट की निर्धारित समय सीमा अवधि के बाद भी 2 वर्षों तक बढ़ाया जाना चाहिये। सरकार ने यूके, आस्ट्रेलिया व कनाडा जैसे देशों से प्रतिस्पर्धा करने के लिए भारतीय आईटी क्षेत्र की कंपनियों प्रोत्साहित करने के लिए उनके अनुसंधान में हुये व्यय में 125% की कटौती की छूट देनी चाहिए।

चेंबर के कार्यकारिणी सदस्य सीए उमंग अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान में कृषि भूमि को हस्तातंरण के समय MAT u/s 115JB के तहत कर लागू किया जाता है जबकि कृषि भूमि पूंजीगत संपत्ति के अंतर्गत नहीं आती। अतः कृषि भूमि के हस्तातरंण को कर निर्धारण से बाहर रखा जाना चाहिये।आयकर अधिनियम 1961 के सेक्शन 79 के तहत व्यापार में हो रहे नुकसान के तहत कर समाप्ति की समय को 8 वर्ष से बढ़ाकर 12 वर्ष किया जाना चाहिये। सेक्शन 270A के अनुसार वर्तमान में एक बार लागू किए जुर्माने को समाप्त नहीं किया जा सकता, सरकार ने इसमें करदाता राहत देते हुये उचित कारण होने पर सेक्शन 270A के अनुसार लगाये जुर्माने का हटाया जाना चाहिऐ तथा साथ ही सेक्शन 273B में भी संशोधन किया जाना चाहिये। सेक्शन 47(xiiib) के तहत  LLPs का कंपनीज रूपातरंण में बहुत कठिनाई आती है अतः LLPs का कंपनी के रूप रूपांतरण के प्रावधान की सीमाओं पुनः विचार करना चाहिए।

चेंबर के सदस्य सीए  यश वर्मा ने कहा कि म‌एस‌एम‌ई यूनिट का आवश्यक अनुपालनों जैसेआयकर के टीडीएस,टीसीएस,जीएसटी के आरसीएम आदि बाहर रखा चाहिए। डीम्ड डिविडेंड रुल्स सेक्शन   2(22e) में राहत देना चाहिये।असेसमेंट को पारदर्शी एवं निष्पक्ष रखने के लिऐ असेसमेंट अधिकारी द्वारा भूलचूक से कोई गलत आदेश पारित हो जाता है तो विभाग द्वारा करदाता हो हुये मानसिक एवं आर्थिक नुकसान की भरपाई की जानी चाहिये।  

चेंबर के अप्रत्यक्ष कर समिति के संयोजक सीए रितेश मेहता ने कहा कि दिन-प्रतिदिन करों के अनुपालनों के नियम व प्रावधान सख्त होते जा रहे है जिसके कारण करदाता का आईटीसी को क्लेम करने में बहुत कठिनाई आ रही है। अतः इसके सके प्रावधानों में सरलीकरण किया जाना चाहिये। कर अपील के समय सीमा को 90 से बढ़ाकर 180 दिन किया जाना चाहिए तथा अपीलेट अथारिटी को राहत देने योग्य वास्तविक मामलों में माफ करने के अधिकार देना चाहिए। जीएसटी की विभिन्न दरों को समाप्त कर 2 से 3 दरों को ही लागू करना चाहिए। जीएसटी असेसमेंट एवं ऑडिट के निश्चित नियम बनाए जाने चाहिए एवं असेसमेंट अधिकारियों द्वारा उसके तहत ही असेसमेंट किया जाना चाहिए। भुगतान की देरी में ब्याज की दर को 24 से घटाकर 6% किया जाना चाहिए। जीएसटी रजिस्ट्रेशन एवं रिफंड के कार्यों को कम से कम 3 दिनों में पूर्ण किए जाने चाहिऐ। जीएसटी लागू हुये 5 वर्ष हो चुके हैं। अतः जीएसटी के लंबित मामलों को एकमुश्त निपटारा करने के लिए सरकार ने वैट तरह की  जीएसटी की अभय योजना भी लाकर व्यापारियों को राहत प्रदान करना चाहिये।

कोषाध्यक्ष सचिन पुनियानी ने कहा कि वर्तमान छोटे व मध्यम करदाताओं के पास सभी तकनीकी साधन उपलब्ध नहीं हो पाते हैं जिससे उन्हें फेसलेस असेसमेंट करने में बहुत परेशानी होती है। अतः रू. 50 करोड़ से अधिक है वार्षिक टर्न ओवर करदाताओं के लिए फेसलेस असेसमेंट  अनिवार्य करना चाहिेये जिससे प्रशासनिक विभाग पर भार भी कम होगा। वित्त अधिनियम के तहत केन्द्र सरकार ने इन के मामलों को निपटाने के लिए इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल  की व्यवस्था की है। इस प्रभावी बनाने के लिए छोटे मामलों का निपटारा किया जाना चाहिए तथा धीरे - धीरे इसमें बड़े मामलों को भी शामिल किया जाना चाहिए।

केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण व केन्द्र सरकार ने निवेदन करते हुये कहा कि लघु व मध्यम व्यापारी वर्ग अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण घटक है जो कि करसंग्रह कर देश के राजस्व में वृद्धि कर देश के आर्थिक संपन्नता व सुदृढ़ता में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। अतः आगामी केन्द्रीय बजट 2023-24 में चेंबर द्वारा उपरोक्त दिये हुये सुझावों को ध्यान में रखते हुये आम जनता व व्यापारियों को राहत देना चाहिये और जिस तरह सरकार किसानों व मजदूर वर्ग के लिये भी राहत पैकेज की घोषणा करती है उसी तरह लघु व मध्यम व्यापारी वर्ग को प्रोत्साहन देने हेतुु समृद्धि पैकेज की घोषणा करना चाहिये।





Posted in